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________________ (१७) ऋषिममलत्ति-पूर्वाई. उल उग्र एवा विद्याधरोनी अने राक्षसोनी अदोहिणी प्रमाण बहु सेना जेम हाथीनी पाउल उत्तम दायणीयो जाय तेम गइ. आवता एवा विन्नीषणने जो रामना सेवको प्रथम तो दोन पामी गया; परंतु एटलामां तो विन्नीष णे पोतार्नु आववानुं रामने जगाववा माटे सेवक मोकल्यो. सेवके श्री रामने विन्नीषणना आववानी खबर आपी. आ वखते ते सेवकने जो विश्वासपात्र अश् गयेनुं सर्व वानरोनुं सैन्य रामने कड़वा लाग्युं. “आ क्रूर हृदयवाला राक्षसो दंनयुक्त होय , माटे प्रथम तेनी नाषण विगेरे चिन्होथी परीक्षा करीने पनी तेने आपनी पासे बेसारवो.” सेवकोनां आवां वचन सांजली दूते कडं. “ए विन्नीषण महा विद्याने धारण करनारो, उत्तम धर्मवान्, नीतिमां कुशल अने विनीत . एवं सीताने गोमाववा माटे। रावणने बहु बहु कयु. ए नपरथी रावणे क्रोध पामी तेने काढी मूक्यो ने, माटे आपना शरणे आवेलो .” आवां सेवकनां वचन सांजली रामे तेनेर झारपाल मारफते पोतानी सन्नामां बोलाव्यो. विन्नीषणे सन्नामां आवी रा. मना चरणने विषे नमस्कार कख्या एटले रामे तेने तत्काल बन्ने नुजाथी आलिंगन करयु. आ वखते रामना वक्षस्थलने विषे जाणे सुंदर नीति अने तत्वनो मेलाप भयो होयनी ! एम तेन बने जगा शोन्नवा लाग्या. पी विनीपणे हाथ जोमी श्री रामने कडं. "हे प्रत्नो! अन्यायमार्गे रदेला बंधु रावराने त्यजी दश न्यायमार्गे रहेला आप महाराजानी सेवा करवाने हुं आवेलो त; माटे पोताना सेवकरूप मने अंगीकार करो.” विन्नीषणनां आवां वचनश्री अति प्रसन्न श्रयेला रामे कह्यु. “ हुँ तने लंका, अधिपतिपणुं आपीश." कडं ठे के-तत्काल प्रसन्न श्रयेला चित्तवाला म्होटा पुरुषो शुं नधी आपता? अर्थात् सर्व वस्तु आपे . पठी राम ते हंसधीपमा आठ दिवस रही बहु धूलथी आकाशने ढांकी देता सैन्य सहित आगल चाल्या. अनुक्रमे तेमणे लंकापुरीना सीमामे आवी विश योजन प्रमाण नूमीने रोकी अगएय एवा सैन्यना हाथी, घोमा अने पायदलना कोटि शब्दधी दिशानने पूर्ण करता पमाव कस्यो. आवखते राव-', गना सन्यने विषे पण रोमांचित श्रयेला हस्त, प्रहस्त, शुक अने सारण विगेरे . अनेक मुख्य राजान शत्रु नूपनियोनी सारे युरू करवा तैयार थया. रावण
SR No.010762
Book TitleAdinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Mythology, & Literature
File Size32 MB
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