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________________ श्री पद्म बलदेव चरित्र. पोतानी अनुत शोनाथी बीजी श्रेष्ट स्त्रीयोनां रूपने पण तीरस्कार करनारी अने शु शीलवती कौशल्या नामनी स्त्री दती. बीजी पोताना शीलव्रतना तेजथी सूर्यनी कांतिने पण मलीन करनारी सुमित्रा नामनी स्त्री हती.त्रीजी धर्मने विषे बुध्विाली, सौलाग्यवती अने पतिने घगीज वहाली एवी सुप्रना नामनी स्त्री हती. हवे ते वखते महा समुना मध्य नागने विषे मनुष्योने स्वर्गनो वि. प्रम करावनारी लंका नगरीने विषे, रत्नश्रव विद्याधरना कुलरूप वनमां केसरीसिंद समान , कैकसी विद्याधरीना नदररूप तलावने विषे हंस समान, विश्वने नयंकर, प्रौढ विद्यामां पंचम पराक्रमवालो, महा तेजवंत, राक्षसोनो अग्रेश्वर, श्री जिनेश्वरना चरणकमलनी सेवामां तत्पर अने विन्नीषण तथा कुन्नकर्णनो नाइ एवो प्रतापवान् प्रतिवासुदेव रावण राजा राज्य करतो ह. तो. एक दिवस सन्नाने विषे सिंहनी पेठे सिंहासन पर बेठेला, पराक्रमयी सर्व राजाननो परान्नव करनारा, तेजस्वीनमा श्रेष्ट, कोटी सुलट एवा रदकोए तथा विद्याधरोए निरंतर सेवा करेला, इंना समान कांतिवाला, देव, दानव अने मनुष्योथी नाश नदि करी शकाय तेवा, मृत्युथी पण नय नहि पामनारा, विश्वने आक्रमण करवामां लंपट अने जीवित ने प्रीय जेने एवा ते रावणे कोई एक अष्टांगनिमित्तना जाण एवा श्रेष्ट नैमित्तिकने बोलावीने पूज्यु के, “ म्हारं मृत्यु कोनाथी अवार्नु . रोगथी के बीजा कोश्थी ते कहो?" रावणे आम प्रश्न करयुं एटले नैमितिके कणमात्र विचार करीने कछु के, "हे रावण महाराजा ! सानलो. कोशला नगरीना अधिपति अने इक्ष्वाकुवंशना शिरोमणिरूप श्री दशरथ राजाना पुत्र राम लक्ष्मणथी मिथिला नगरीना पति जनकनी पुत्री सीताला कारणे तमाकं मृत्यु थवानुं ." नैमितिकनां आवां वचन सांजली रावण शंकायुक्त थयो एटले पासे बेठेला विन्नीषणे गाढ स्नेदना वशथी तेने कर्वा के, “हे नाथ ! जो आ नैमितिक सत्यवादी । दशे, तोपम हुं बलात्कारे तेनां वचन मिथ्या करीश. हुं दशरथ राजाने अने जनकन्नूपतिने ए वनेने मारी नाखीश तो पठी तमारा वध करनारानी नस्पनिज शी रीते अशे ?" तेनां आवां वचन सांजली रावण "लोकमां त्दारूं सहोदरपणुं श्रेष्ट .” एम वखाण करतो तो अत्यंत संतोष पाम्यो.
SR No.010762
Book TitleAdinath Charitra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages489
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Mythology, & Literature
File Size32 MB
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