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श्री जर बलदेव चरित्र. (१४ए) नोहर कमल सरखी धारका नामनी नगरी , त्यां रामना समान का तिवालो अने जेनो यशसमूह विश्वमा प्रसरी रहेलो इतो एवो ब्रह्म नामे रा. जा राज्य करतो हतो. तेने गुणोये करीने म्होटी तथा प्रिय अने श्रेष्ट एवी सुना राजानी पुत्री सुन्नज्ञ नामनी स्त्री हती. तेनने बलवंत एवो विजय नामे बलदेव पुत्र इतो. वली ते ब्रह्मराजाने नत्कृष्ट नाग्यनी नूमीरूप बीजी नमा नामे स्त्री इती. तेने वासुदेवना पदने योग्य एवो हिपृष्टक नामे पुत्र इतो. ज्यारे आ बन्ने पुत्रो युवावस्था पाम्या त्यारे ब्रह्म नूपतिये तेनने राज्य आपी पोते सत्य एवा ब्रह्मानने माटे चारित्र लीधुं, पठी सर्व कलामां कु. शल एवा महावलवंत हिपृष्टे तारक नामना प्रतिवासुदेवने युःक्ष्मां जीत्यो. व. ली तेणे जमणा हाथ वमे कोटिशिला नामनी महाशिलाने नपामी दमानी माफक पोताना मस्तक सुधी नंची करी. ते नपरथी अर्शनरतत्रनां सोल हजार राजानए एकाग श्र महोत्सवपूर्वक हिपृष्टने वासुदेवनो अनिषेक कस्यो. परी श्वेत अने कृष्ण ने शरीरनी कांति जेमनी एवा अने सीतेर धनुष्यना देहवाला ते हिपृष्ट अने विजय बन्ने नाश्योए दीर्घकाल सुधी राज्य नोगव्यु. बोंतेर लाख वर्ष पर्यंत पोताना आयुष्यने पूर्ण करी घोर पापना नदयथी हिपृष्ट मृत्यु पामीने ही नरके गयो. पठी पोताना बंधुना वियोगथी ) दुःखी थता विजय बलदेवे सर्वथा राज्यने विषे स्पृहारहित श्रइ वैराग्यथी दीका लीधी. राज्यलक्ष्मीने त्यजी दइ चारित्र अंगीकार करनार ते श्री विजय नामना बलदेव पोतानुं पंचोतेर लाख वर्षनुं सर्व आयुष्य पूर्ण करी चारित्र पालवावमे केवलज्ञानने प्राप्त करी अंते कर्मक्यथी संसारना नयने नेदी नाखनारा परमानंद रूप निर्वाण पदने पाम्या.
॥ इति श्री विजय बलदेव चरित्रम् ॥
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॥ अथ श्री जर बलदेव चरित्रम् ॥ । श्रा नरतक्षेत्रनी धारका नगरीने विषे क्रूर एवा शत्रु नूपतियोनो नाश ___ करवाने प्रगट पराकमवालो रु३ नामे राजा राज्य करतो इतो. तेने अत्यंत ' रूपवती एवी सुप्रन्ना नामनी पट्टराणी हती. तेने महाबलवंत एवो नइ ना.