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___ राजा भोज का सपना]
और शोर-गुल मचाते-मचाते उसे तग कर डालते थे या दरबार में आकर उसे लज्जा के भँवर में गिरा देते थे या झूठा छापा तिलक लगाकर उसे मन के जाल में फंसा लेते थे या जन्मपत्र के भले बुरे ग्रह बतलाकर कुछ धमकी .,
भी दिखला देते थे या सुन्दर कवित्त और श्लोक पढ़कर उसके चित्त को लुभाते । थे। कभी वे दीन-दुखी दिखलाई देते, जिन पर राजा के कारदार जुल्म किया
करते थे और उसने कुछ भी उसकी तहकीकात और उपाय न किया। कभी । ___ उन बीमारों को देखता जिनका चगा करा देना राजा के अख्तियार मे' था, . . .. कभी वे व्यथा के अले और विपत्ति क मारे दिखलाई देते जिनका जी राजा
के दो बात कहने से ठंडा और · सन्तुष्ट हो सकता था। कभी अपने लड़के , - लड़कियों को देखता था, जिन्हें वह पढ़ा लिखाकर अच्छी-अच्छी बातें सिखा कर बड़े-बड़े पापों से बचा सकता था। कभी उन गाँव और इलाकों को देखता जिनमें कुएँ तालाब और किसानों को मदद देने और उन्हें खेती-बारी की नई-नई तरकीबें बतलाने से हजारों- गरीबों का भला कर सकता था। . कभी उन टूटे हुए पुल और रास्तों को. देखता जिन्हें दुरुस्त करने से वह लाखों मुसाफिरों' को श्राराम पहुंचा सकता था।
राजा से अधिक देखा न जा सका, थोड़ी देर में घबराकर हाथों से , , उसने अपनी आँखे ढॉप ली। वह अपने घमड मे उन सब कामों को सदा याद रखता था और उनकी चर्चा किया करता जिन्हें वह अपनी समझ में पुण्य के निमित्त किए हुए ममझता था, पर उसने उन कर्त्तव्य कामों का भी कुछ सोच न किया जिन्हें अपनी उन्मत्तता से अचेत होकर छोड़ दिया था। । सत्य वोला “राजा अभी से क्यों घबरा गया ? श्रा इधर पा इसे दूसरे आईने में तुझे अब उन पापों का दिखलाता हूँ जो तूने अपने उमर में किये हैं।" राजा ने हाथ जोड़ा और पुकारा कि बस महाराज, वस कीजिए जो कुछ देखा उसी में मैं ता मिट्टी हो गया. कुछ भी वाकी न रहा, अब आगे क्षमा कीजिए। पर वह क्तलाइए कि आपने यहाँ आकर मेरे शर्वत मे क्यों जहर घोला और । पकी पकाई खीर में सॉप का विष उगला और मेरे अानन्द को इस मन्दिर में श्राकर नाश मे मिलाया जिसे मैंने सर्वशक्तिमान् भगवान् के अर्पण किया है ?