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[हिन्दी-गव-निर्माण समाज से हमारी सुख-शान्ति में बाधा पड़ती हो,उसका हमें तिरस्कार करना ही होगा। इन संस्थानों का उद्देश्य है-मानवों की सेवा । यदि वे हमी से अवैध सेवा लेना चाहें, और हमारे कारों को न हटावें, तो हमें उसकी सीमा के बाहर जाना ही पड़ेगा। गुप्त साम्राज्य ने मौर्य साम्राज्य के ध्वंस पर क्या क्या अत्याचार
नहीं किये। ब्राह्मण-हुए है, और होंगे । ब्राह्मणों को इतनी हीन अवस्था में बहुत दिनों .
तक विश्वनियंता नहीं देख सकते। प्रकृति के नियमों में इतना बड़ा परिवर्तन कभी नहीं हो सकता। जो जाति विश्व के मम्तिक । का शासन करने का अधिकार लिये है, वह कभी चरणों के नीचे न बैठेगी। श्राप यहाँ बलि होगी हमारे पाचरण में
स्वयं विधाता भी बाधा नहीं डाल सकते। भमण-अनर्थ हो जायगा। निरीह प्राणियों के बध में कौन सा धर्म है ब्रामण!
तुम्हारी इसी हिंसा नीति का और अहंकार-मूलक आत्मवाद का खण्डन तथागत ने किया था। उस समय तुम्हारा धान गौरव कहाँ था ? क्यों नहीं प्रतिवाद कर सके १ क्यों नतमस्तक होकर समग्र जम्बू द्वीप ने, उस शानरणभूमि के प्रधान मल्ल के समद हार। स्वीकार किया १ वह अहम्भाव का दम्भ, पवित्रता का ठेका, आज भी लेकर तुम अत्याचार किया चाहते हो ! यह नहीं हो सकेगा। इन पशुओं के बदले हमारी बलि होगी १ रक्त-पिपासु दुर्दान्त
• ब्राह्मण-देव ! तुम्हारी पिपासा हम अपने रुधिर से शान्त करेंगे!, धातुसेन–(प्रवेश करके)-जैसे अहम' का, वैसे आत्मवाद का खंडन करके ।
उन्होंने विश्वात्मवाद को ध्वंस नहीं किया: यदि वैसा करते तो इतनी करुणा की क्या आवश्यकता थी? इस उपनिषदों के नेतिनेति के व्यतिरेक से ही गौतम का अनात्मवाद पूर्ण है । यह प्राचीन महर्षियों का कथित सिद्धान्त, संसार में प्रचारित हुामध्यमा, प्रतिपदा के नाम से, कि व्यधिरूप में प्रात्मा के सदृश कुछ