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[हिन्दी-गय-निमान में । घोर-संग्राम और भी स्थानों में हुये हैं । युरुप में यूनान देश और ट्राय देश के रहनेवालों की लड़ाई प्रसिद्ध है । परन्तु भारतवर्ष के वीरों और यूनान और ट्राय के वीरों में बड़ा ही अन्तर है । ऐकिलीज़, हेक्टर, यूलिसीन, एजकस और ऐगे मेमनान अवश्य बड़े वीर और पराक्रमी थे, परन्तु उनकी तुलना भीष्म, दोणाचार्य, युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन के साथ करना इतिहास के ममों को एकबारगी भूलना है। भारतवर्ष की प्राचीन सभ्यता और यूनान : की प्राचीन सभ्यता दोनों मे बहुत ही बड़ा भेद था। वही भेद भारतवर्ष के . वीरों और यूनान के वीरों के कर्मों में है।
___यूरुप के अाधुनिक इतिहास की तो चर्चा ही क्या ! श्राधुनिक इतिहास में उस विचित्र और पवित्र चरित्र का चित्र मिलना असंभव ही है, जिसकी कीर्ति की कुछ छटा उसकी संतान को दिखलाने के लिये आज . 'हमने लेखनी उठाई है।
. __ भारतवासियों के लिये महात्मा भीष्म के चरित्र की चर्चा अमृत समान है। जितना ही अधिक वह उनका स्मरण करेगें, जितना ही अधिक वह ... उनके उपदेशों को अॉख खोल कर पढ़ेंगे, उतना ही अधिक बल और पुरुषार्थ . उनमें आवेगा । देश की दशा सुधारने और उसको फिर उस उच्च शिखर पर पहुँचाने में, जिस पर कि वह किसी समय में था, भीष्म जी का चरित्र हमारे लिये आदर्श रूप है । पितृ-भक्ति, प्रतिज्ञा-पालन, सत्य, धर्मपरायणता, शूरता, निर्भयता, देशभक्ति इन गुणों में कैसी अच्छी शिक्षा हमें भीष्म जी के चरित्र से मिलती है । इन्हीं गुणों से देश का जाति का, और भारतवासियों का उत्थान सम्भव है । इसी कारण से उन्हें भीष्म जी के चरित्र पर, जितना अधिक हो सके, मनन करना चाहिये।
। भीष्म जी-राजा शान्तनु के पुत्र थे। उनके पिता एक दिन आखेट के लिये जा रहे ये कि उन्होंने एक सुन्दर युवती को देखा, जिसे देख कर वे । मोहित हो गये । यह सुन्दरी एक मल्लाह की पुत्री थी। राजा शान्तनु ने उस
मल्लाह से उसकी पुत्री के साथ विवाह करने की इच्छा प्रगट की। परन्तु । * उस मल्लाह ने यह उत्तर दिया कि वह राजा से साथ अपनी पुत्री का विवाह