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________________ मजदूरी और प्रेम] . १५१ मात करती है । संसार के सब बाजारों में उनकी बड़ी मांग रहती है। पश्चिमी . देशों के लोग हाथ की बनी हुई जापान की अद्भुत वस्तुओं पर जान देते हैं। एक जापानी तत्वशानी का कथन है कि हमारी दस करोड़ उँगलियाँ सारे काम करती हैं। इन उँगलियाँ ही के बल से, संभव है, हम जगत् को जीत We shall beat The world with the tips of our fingers. जब तक धन और- ऐश्वर्य की जन्मदात्री हाथ की कारीगरी की उन्नति नहीं होती तब तक भारतवर्ष ही की क्या किसी भी देश या जाति की दरिद्रता, दूर नहीं हो सकती । यदि भारत की तीस करोड़ नर-नारियों की उँगलियां मिलकर कारीगरी के काम करने लगे तो उनकी मजदूरी की बदौलत कुवेर का महल उनके चरणों में आप आ गिरे। अन्न पैदा करना, तथा हाथ की कारीगरी और मिहनत से जड़ पदार्थों . को चैतन्य-चिह्न से सुसज्जित करना.क्षद्र पदार्थो का अमूल्य पदार्थों में बदल , देना इत्यादि कौशल ब्रह्मरूप होकर धन और ऐश्वर्य की सृष्टि करते हैं। कविता, फकीरी और साधुता के ये दिव्य कला-कौशल जीते-जागते और हिलतेडुलते प्रतिरूप हैं । उनकी कृपा से मनुष्य जाति का कल्याण होता है। ये उस देश में कभी निवास नहीं करते जहाँ मजदूर और मजदूर की मजदूरी का सत्कार नहीं होता, जहाँ शूद्र की पूजा नहीं होती । हाथ से काम करनेवालों से प्रेम रखने और उनकी आत्मा का सत्कार करनेमे साधारण मजदूरी, सुन्दरता का अनुभव करानेवाले कला-कौशल अर्थात् कारीगरी, का रूप हो जाती है । इस देश मे जव मजदूरी का आदर होता था तब इसी आकाश के नीचे बैठे हुए मजदूरों के हाथों ने भगवान् बुद्ध के निर्वाण-सुख को पत्थर पर इस तरह जड़ा था कि इतना काल बीत जाने पर पत्थर की मूर्ति के ही दर्शन से ऐसी शान्ति प्राप्त होती है जैसी कि स्वयं भगवान् बुद्ध के दर्शन से होती है। - मुँह, हाथ, पाव इत्यादि का गढ़ देना साधारण मजदूरी है परन्तु मन के गुप्त । भावों और अन्तःकरण की कोमलता तथा जीवन की सभ्यता को प्रत्यक्ष प्रकट कर देना प्रेम-मजदूरी है। शिवजी के ताण्डव नृत्य की और पार्वती जी के मुख । की शोभा को पत्थरों की सहायता से वर्णन करना जड़ को चैतन्य वना देना
SR No.010761
Book TitleHindi Gadya Nirman
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmidhar Vajpai
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2000
Total Pages237
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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