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. . . : ..... ख ... कुछ संभव है । अतः जिन महाशयोंको शब्द वा अर्यकी अशुद्धि ज्ञात हो सके वे अवश्य सूचित करनेकी कृपा करें।
आजसे लगभग दो साल पहिले हम श्रीमद्देवाधिदेव गोम्मटेश्वरके अभिषेक जलसे पवित्र होनेके, लिये श्रवणवेल गोला (जैनवदी) गये थे उस समय शोलापुर वासी श्रेष्टिवर्य रावजी सखाराम दोशीकी अनुमतिसे आलंद (शोलापुर ) वासी श्रीष्ठिवर्य माणिकचंद मोतीचन्दजीने इस ग्रंथके प्रकाशनार्थ पांचसौ रुपये इस शर्तपर देना स्वीकार किया था कि-ग्रंथ - प्रकाशित होकर न्योछावर आनेवाद संस्था उन्हें रुपये वापिस
भेजदे तदनुसार आपकी सहायता प्राप्तकर यह ग्रंथ प्रकाशित किया जाता है। उक्त दोनों सेठ साहबोंको कोटिशः धन्यवाद है जिससे मुनि और गृहस्थ दोनोंको अपनी अपनी शुद्धि होनेका आगमोक्त मार्ग मालूम हो जायगा और वे शुद्ध हो सकेंगे। : ... ... ... . पितो भाद्रपद शुक्ल पांचमी । निवेदकवृहस्पतिवार वीर सं० २४५३. ), श्रीलाल जैन काव्यतीर्थ
मंत्रो-भा० जैनसिद्धांतप्रकाशिनी संस्था ... विश्वकोषलेना बाघबाजार, कलकत्ता