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. प्राषित-समुच्चय।
एकका धारणेके दिन त्याग करना. दो दिनोंमें चारका त्याग करना और एकका पारणेके दिन त्याग करना इस तरहके तीन उपवास करना या छह भोजनकी वेलाका त्याग करना षष्ठ है। तया निरंतर, एक प्राचाम्ल, एक निर्विकृति, एक पुरुमंडल, . एक एकस्थान, और एक उपवास करना कल्याणक है ॥१०॥
आगे कायोत्सर्ग और उपवासका प्रमाण बताते हैं:कायोत्सर्मप्रमाणाय नमस्कारा नवोदिताः। उपवासस्तनूत्सर्गर्भवेद् द्वादशकैस्तकैः॥११॥
अर्थ-नौ पंच नपस्कारोंका एक कायोत्सर्ग होता है और बारह कायोत्सगोंका एक उपवास होता है।
भावार्थ-पो अरहताणं, णमो सिद्धार, णमो आइरियाणं, णमो उवमायाणं, गायोलोये सवसाहूपं यह एक पंचनमस्कार है ऐसे नो पंचनपस्कार एक कायोत्सर्गमें होते हैं और एक उपवासमें ऐसे हो बारह कायोत्सर्ग होते हैं। यथाणवपंचणमोक्कारा काउसग्गम्मि हाँति एगम्मि। एदेहि वारसेहिं उपवासो जायदे एको ॥ -छेदपिंड। .
तथा
एकम्मि विउस्संगे णव णवकारा हवंति बारसहि । सयमहोत्तरीदे हवंति उववासा जस्स फलं ॥