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________________ [ ६३ ] नंद तणो नर नाह, रीछ सां भिडियो राघव । राम तर कजि रांमि, निगुरिण नाथिया बळव नव । इळा तरणी अवतार, सामि श्रारणो सतभांमा । घर सिसपाळ सिंघार, रुखमणी पिरणी रांगा । कालिंद्री विदा भद्रा कु अंरि, कहि लखमरणा क्रिपाळ ₹ । रीछड़ी नाग जीती निमो, पटराण प्रतिपाळ रे ॥१२७॥ पटरांण प्रतिपाळ, सील सहिजे सारीखे । मुद रुखमणी मात, श्राठ प्रभ सांमें ईखे । नरकासुर दीकरी, महरि बूसट सां मारै । सोळ सहस कसौ, साम गोपियां सुघारे । जदरथ सलव बुलबुल जिसा, दईत किता ही दोटिया । कोपियै किसन झाझा करग, बाणासुर रा बोटियो ॥ १२८ ॥ वारणासुर वोटियो, साघ चेतियौ दळे देत त्रकदत, खळा ऊपरां कासीपति कापियो, तास सुत दहे देत दीकरी, अगिन क्रितीया ऊथापै । (ते) कीया काम वहिया कटग, करता कितरा क कहाँ । ताहरा विसव रूपी त्रिगुरण, नाथ प्रवाडा ना लहां ॥ १२६॥ सदा सिवि । हिमैं खिवि । सहर समापै । नाथ प्रवाड़ा नमो, विसन ताहरी वहै वस । अखिल रूप श्रतमा, श्रेक वारण सा गयो अस । कलिजुग लागो किसन, वचन कहियो नद वाळे । जुजिठळ म करे राज, हाल जाया हीमाळ । पाडवां सरग पोहचाडिया, पाच पदारथ पाइया । जगनाथराय जगनाथजी, श्रनत उडीसे ग्राइया ॥१३०॥ ॥ दूहा ॥ अनत उडी आइयो, श्री वहनांमी बुध । जै जीतो खापर जवन, जग जीतो विरण जुध ॥ १३१ ॥
SR No.010757
Book TitlePirdan Lalas Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages247
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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