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मू डाळी (३४)--श्री गजानन । मेस (६०)-शेपनाग । सूका (६८)
सेहरा (६६)मूनो (४८ --शून्य, खाली। सैरण (६२)—सजन । मूझ (४४)-दिखाई देता है, देखता है | संरणला (१९)-संणी नामक वेधा मूप-कना (१६)-वडे-बडे कानो वाला
चारण की पुत्री जो देवी नूप (१३) - सूर्पनखा
का अवतार मानी जाती सूपनखा (५६)-शूर्पपणखा
है। पीरदान लालस की सुर (३६, ६८)-सूर्य, वीर, वहादुर ।
आराध्यदेवी थी। मूरज्या (३२)--सूर्या, सूर्य की पत्नी | चैदहे (३७, शरीर सहित । मूरिजि (४७)—सूर्य
सैतान (३२)--शैतान, असुर । मूरिति-पाय (४४)-पवित्र शक्ल का | मैनीछर (२१)–शनिश्चर । पाक-सूरत।
। सोढी (१५)-पंवर वश की गोढा का मे (३, १६)-वे, सव।
राजपूत । मेख ( ८६, ६९)-इस्लाम धर्म के | सोम (३९)-चन्द्रमा ।
आचार्य, पैगम्बर मुहम्मद के | मोरम ( १० स० सुरभि )-सुगध, वगजो की उपावि, यवनो के
महक । मुस्य चार वर्गों में से प्रथम सोरी (७५)--सुखी, आराम मे ।
सोळ (६३)-सोलह । नेम (२५, ३६, ६२-गय्या सोवन (३१)नेत (३२, ३६, ६४, ६६)-श्वेत सोहागण (१५,- सववा, शोभाग्यमेल (११, ६२)-ट्वेत रग का
वती। घोडा, वि० वि० कहते हैं कि | सोहिया (८०)-सुशोभित हुए । जव कल्कि अवतार होगा वह / सौरी (३१)
श्वेत घोडे पर नवारी करेगा? | श्रव (२७)-सर्व, सव । मनिल (८४)-बैत
थव ()-सर्व, सव। नारसी (!)
श्रिया (६७)-श्री, लक्ष्मी। मेव (३४)-नेवा
श्रीय (४८)-श्री रोप (१६)ोपनाग।
| श्रीरंग (७५)~-विष्णु का एक नाम ।