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धनख (६१)-धनुष ।
। धारा (१६)-धारु नामक चमार धनी (१०२)-बन्य, धनवान ।
जो मल्लिनाथ के घनुपधर (३६)-~धनुष को धारण
समकालीन थे। करने वाला।
घिखीयो (८०, ८२)-कोप किया, घर (८८)--भूमि, स्थान ।
बुध हुआ। घरण (४७)-पृथ्वी
घिरिणया (२१)--स्वामियो धरणि (४७)-भूमि, पृथ्वी। घिणी (६२, ६४) स्वामी घरणी (३८)—पृथ्वी
घिणी (७, १६, २०, ४८, ६१, ६६, धरणीधर (४७, ६३, १००)-घरणी| १००) स्वामी, मालिक ।
को धारण करने वाला, | घिणीया (१६)-स्वामियो, मालिको। विष्णु, शिव शेष, कच्छप | घिणीयाणी (२०)-स्वामिनी, मालिक। आदि
घिणीयाणी (२१)-स्वामिनी, मालकिन घरण (२१) अनशन विशेष घिरिरिण (८६)-धर, पृथ्वी । घरम (४१, ६८, १.१)-धर्म धीक (६१, ८७)-मुष्ठिका प्रहार । धरि (३८)-धारण करके। धुरिणसं (१२)-घुमाएगा घरिण (८६)-पृथ्वी
घुवै (८६)-वजे, ध्वनिमान हुए। घरियो (५५)-ग्रहण किया।
धू घर्ड (८५)-खुले प्राम, पूर्ण । घरिस (८९) धारण करेगी।
पूजि (९४) -- कपायमान हुई। धरै (४७, ५२)-धारन करता है. रख | घृत ( ४ )-~धूत
दिया। घूवका (६६, ८७)-गिरने की ध्वनि, धर्व (५८) जलावे, जलाये ।
गिरने की क्रिया । धाख (२६)-अभिलापा करते है। धूवकाई (६७)-प्रहार किया, गिरा घाडि (५०)--शरीर?
दिया। घातां (३९)-ध्यान करने पर, दौडने | धेन (६२)-धेनु, गाय । पर।
घेनां (१४)-गाये धानंतर (३)-धन्वंतरि वैद्य । धोख (८७)-नमस्कार करके । धानु (४५)-अनाज
घोमरिखा (१४)-धौम्य ऋषि । धारी (१०३)-धारण करने वाले। । घौड (३९)-दौड, पहुँच ।