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________________ [ ४१. ] दईता (१८, १००, १०१)-दैत्यो, । दशरथ (१, २, ३, ६, ८, ५५, ५६, दत्य । ६६, ७६, ८१)--सूर्यवंशी दईव (१०, ३६, ५५)-श्रीराम, विष्णु राजा दशरय । ईश्वर। दहकध (६,६०)-रावण, दशस्कघ, दईवाण (१८)- वीर । दशानन । दड दड (९१)-गिरने की ध्वनि, दहन (६६)--अग्नि, आग । गिरने की क्रिया। दहसीस (५६) रावण। दडदर्ड (८७)- गिर पड़े, लुढक गये। दहि (७२)-भस्म कर । दडे (५६)- गेंद, वडी गैद । दहियो (९५)-नाश, ध्वस । दत (३, ६, २८)-दत्तात्रय ऋपि । दही (५६)- नाश करदी, जला दी। दधि (५०, ७७, ६२)-उदधि, समुद्र ।। दहे (६२, ६३)-भस्म कर दिये। दमाम (६६)-ढोल विशेप । | दहै (१०३)-ध्वंस होते हैं, नाश दमोदर (५)-दामोदर, श्रीकृष्ण । करता है। दरगहि (७)-दरवार । | दारण (५, ६८)-टैक्स । दरसरण (६७)-दर्शन, झांकी। दाणव (५७)--असुर, दानव । दरमै (५१)-दिखाई देते हैं । दाणवे (९१ -दानव दरिसरण (४५)-दर्शन, दार्शनिक, सिद्धान्त, धर्म सम्वन्धी दाम (६६)- दाम, रुपये-पैसे। ज्ञान । दाइ (२०, ५१)-पसन्द दरीयाऊ (७५)—समुद्र । | दाइम (६४)-१ सर्व शक्तिमान, २. दळ (५४, ८६)- सेना । अपनी इच्छानुसार करने वाला दळिदि (९५)-दारिद्रय, कगाली। दन्द्रि (१०३)--कंगाली। दाखवि (६६) दळ्यिा (२०, २१)-व्वस कर दिये, | दाखा (३०, २८)-दहते है, कहता हूँ नाश कर दिये, संहार किए। दाखि (३७)-कहिए दळेवा (६)-ध्वस करने को। दाखीजे ( )-कहिए दळे (६३)-ध्वस किए। दाखीज (४३)-कहिए, कहा जाता है दव (६७)-कोपाग्नि । | दाखे (२२)-कहता है
SR No.010757
Book TitlePirdan Lalas Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages247
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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