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________________ [ ३३ ] जूनां (३७, १००)-प्राचीन । जोरवर (४६)-शक्तिशाली जेज (६४)-देरी, विलव । जोरावर (७६)-शक्तिशाली जेम (६, ३८)-जैसे, जिससे । जोवे (३१, ६४)-देखता हैं, देखती है जेरिया (६२)- ध्वस किए। ज्यानखी (८१)-जानकी, सीता । जेवा (२८) - जैसे। ज्याग (६, ४३, ५५)- यज्ञ जेसली (१५)--एक भक्त का नाम जो | ज्यानखी (३६)-जानकी, वैदेही। रावल मल्लिनाथ के दरवार मे था। झगडे (१००)-लडाई जै (४२)---जिस 1 झडप (७६) झपट कर, छीनकर । जै (२१, ३६, ६३)-जो, यदि, अगर। झडपै (५९) छीनता है, खोसता है। जैत (२०, ५२, ५६)-विजय, जीत। झडिपिया (६१)-छीन लिए। . जै देव (३८. ६६)-प्रसिद्ध सस्कृत ग्रथ गीत-गोविंद के रचयिता झलिम (७०)-धारण कर सकेगा, एक परम वैष्णव कवि ।। उठा सकेगा। __जोइ (१३, ३७, १०३)-देखकर, झलू (६६)-- "क्षक, मददगार, उत्तरदेखिए जिस 1 दायित्व लेने वाला। जोइया (१६)-देखे झाझ (३१, ७८) जोईयो (१८)-देख झाझे (९४)-बहुत, अधिक । जोग (२२) योग भाटिया (८७)-- मार दिया । जोगणी (८६) योगिनी, रणचडी।। झरिडियो (६४)----नोच डाला। जोडे-पारण (१०२)-कर-वद्ध होता है झाल (६८)-पकड कर। जोत (१५)---ज्योति झाळ (८७) ज्वाला, आग की लपट श्राग । जोति (२४, ३३, ३५, ३६, ४०) ज्योति, ईश्वर (वेदान्त) | झालणहार (६)-धारण करने वाला, जोध (१२, ३१)--योद्धा, वीर । पक्डने वाला। जोनि (४३)योनि झालि (१६, २६, ५८)-पकडकर । 'जोनी (८१) योनि झालिम (८७)-पकडेगा । जोनीया (३६)-योनि, जन्म । झाली (७३)-पकडी जोमरण (८०)-जन्म मा | झाली (३१) चारण करते हो।
SR No.010757
Book TitlePirdan Lalas Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages247
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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