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________________ [ ३१ ] जळ (५२, ५६)-पानी, समुद्र ।। का कपडा, जाजिम। जळ माणसिया (१६)-जलमानुस ! | जाड (२, ४, ३५, ३७)-जडता, जवन (५०, ६२, ६३, ६१)-असुर, अग्यान जाड्य अज्ञानता। राक्षस यवन । जाडा (६६)-शक्तिशाली, बहुत वडा । जवना (88)- यवन । जाडि (५१)-जबडा । जवने (९८) यवनो। जाणे (१६, ७६)-जानती है, जानता जस (३८,४४, ५१, ६५) यश, जैसी कीर्ति । | जाति (३९) हो जाना, हो सकना । जसहि (६०) यश। जात्र (३७) यात्रा, पूजा, अर्चना । जसोदा (५८, ६२, ८३)-व्रज मे | जादवराव (१००)-यादवराज,श्रीकृष्ण । माता के रूप मे श्रीकृष्ण | जादवा (३६)—यादव, श्रीकृष्ण । का पालन पोषण करने | जाप (३४, २३)-जप, पठन पाठन । वाली नद गोपराज की जाव (५२)-जवाव, प्रत्युत्तर। धर्मपत्नी, यशोदा। जामिणी (२२) जन्म देने वाली। जसौदा (५) यशोदा। जामै (४३)-जन्म लेते हैं। जांणा (१०१)--जानता हूँ। जाया (१९)- जन्म दिया। जारिग (३५)-जानकर । | जायो (३६, ४२, ५५, ८२, १००)जाणी (३२)-समझली, समझ लिया। जन्म दिया, उत्पन्न किया, पुत्र । जाणे (३९)-जानता है । जाळण (९२) जालने वाला, जलाने जानी (३१, ३७) वराती। का। जामिरिण (१०१)-माता। जास (२८, ३५, ५०, ६८)-जिसका, जांमी (२)-पिता, जन्म देने वाला। जिसे जिससे । जाइयो (३६)-उत्पन्न किया। जिका (५१)-जिन्हो। जाइन (३०)-जा करके। जिके (२, १६, ८१) जो। जाइया (८१) जन्म दिया। जिकै (६३)-जिस, जिसने । जाए (३३)-जा करके। | जिको (२६, ४५, ५४)-वह, जो। जाजम (१३) छपा हुआ या रगा जिगन (४४) यज्ञ । हुआ दो सूती मोटा बिछाने | जिगि (५५)—यज्ञ ।
SR No.010757
Book TitlePirdan Lalas Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages247
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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