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चाव (१०३)-उत्साह, उत्कंठा। चोखै (११)~श्रेष्ठ उत्तम । चावियो (५३)-चवाया, चर्वन किया। चोरी (२१)-चुराने वाली (चित्त को) चाही (३२)-इच्छा करो, चाहते हैं। चोरै (५८-चोरियो, चोरिये, तस्कर चित्ति (२१)-चित्त मे।
वृत्तिएँ। चिति नै ४९)- चित्त को।
चौ (१५)-का। चिदारणद (४६)-चिदानद ।
चौक (३२)-प्रांगण। चिरिताळा (६६)-चरित्र करने वाला।
चौकस (६०)-निश्चय ही, सतर्क । चीध (६२)--ध्वजा, झडा।
चौद ४७)-चौदह । चीना (१६)--आहार कर गई।
चौरी (११)-विवाह-मडप, विवाह चीणमण (३२)
मंडप की वदा । चीणि (८६)चीतारि (३,-स्मरण कर, स्मरण
च्यार (३६)-चार ।
च्यारि (४७)-चार। करके। चीतारै (६८) याद करते है।
छडकाड (६१)-पानी आदि छिडकने चीर (५९)-वस्त्र।
की क्रिया। चुहु-गमा (४०)—चारो ओर।
| छत (२४ -मकान के ऊपर का भाग । चुनाळि (५३)
छता (९७'-प्रकट। चूडली {११) हाथी दांत की बनी छती (१९)-है, होते हुए।
चूडियां जो सघवासी अपनी | छती (३८, ८२, १०२)—मौजूद,
भुजा पर धारण करती है। । वर्तमान, प्रसिद्ध, प्रकट । चूरिया (५६,-व्वस किए । छत्त (६२/-राजा, छत्रधारी। चूरी (३२)---ध्वस करिए।
| छयाळ (९८;---छत्र धारिन, राजा। चूल (३१)-चूल्हा ।
| छत्रासुर (१०३)-एक असुर का नाम । चेड (४५}-खुले ग्राम ।
छळिया (१६, २१)-छल लिये, धोखा चेतियौ (६३)-सतर्क हुआ, सावधान
दिया। हुआ।
छलियो (९५)- छल, घोखा दिया। चेली (३२)---शिष्य ।
छकियो (१७)-छल लिया । चोखिन {१२)- चलेगी। छा (१००, ३४,-हूँ।