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________________ [ ११ ] उपरि (४३)-ऊपर, पर। | उवारण (३३, ६७)-उलया। उपाअण (७६)-उत्पन्न करने को, उवारणा (४४,४८)-वलया, न्यौछावर उत्पन्न करने वाला। | उसास (३६) उच्छ्वास । उपाइया (२०, ५२)-उत्पन्न किए । उपाईया (५०)-उत्पन्न किए। | ऊंआ (५६)-उन । उपाडियौ (५८)-ऊपर उठा लिया । ऊधौ (५७)—औधा, उलटा। उपाडे (३०)-उठा लिया। ऊया (७४)-उनकी। उपाया (१६, २१, ४३, ५०, ५१) ऊए (४४)-वे। उत्पन्न किये। ऊखले (८३) ऊखल मे। उपायौ (४५)-उत्पन्न किया । ऊगा (११)--उत्पन्न हुए। उवारी (१०३)-रक्षा। ऊग्रसेन (६०)-महा पापाचारी राजा उभे (८८)-उभय, दोनो। कस के पिता उग्रसेन । उ7 (४४) वे। ऊधा (६२)-उद्धव । उर (४३) हृदय, वक्षस्थल । | ऊचर (६१)-उच्चारण करते हैं । उरळी ( २७, ४७, ७६)-चौडा, विस्तृत । ऊडीस (८४)-भारत के एक प्रान्त उरा (११, ४६, ६०)-इस ओर । का नाम जहां भगवान बुद्ध का उरि (४३, ७६)-उर मे, वक्षस्थल जन्म हुआ था, उडीसा। मे, हृदय मे। | ऊयापिया (७८, ८७)-उन्मूलन कर उरी (६२) यहाँ, समीप, दिये। उलस (४३)-प्रसन्न होता है, उलसित | ऊयाप (६३) उन्मूलन किया। होता है। ऊवरा (३८)-उद्धार हो जावे । उलाळण (६२)उल्लसित करने ऊवरिया (७४)-उद्धार कर दिये । वाला। ऊवव (४४)--उद्धव । उळाविज (१०३)-गाइये । सुमिरण | गन्हो (४७)-उष्ण । करिये। कंपनी (१०२)-उत्पन्न हुआ। उठाव (88)-भजन करे, सुमिरण | ऊपर (६७)-ऊपर । करे। ऊपरा (३१, ३२, ६३) ऊपर । उवर (४८)-वच गया, बच जाता है | परा (३६, ४५) जार।
SR No.010757
Book TitlePirdan Lalas Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages247
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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