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॥ गीत सारगोर ॥
लालस पीरदान रो कहियो । पहलाद समरियौ पायो जगपति, चत्रभुज निमो भगत रो चाड । बहनामी रै दाढ तणौ वळ, हरिणख तणो जारिस हाड ॥१॥ पडियो असुर ऊपरा पडिौ, कोपि ओपिनो निमो कंठीर। झाझे त्रिसले दैत झरिडियो, वडियो मास भरथ रै वीर ॥२॥ हरिणाकस निरदळ्यिौ हाथै, गिळियौ गुद्र नमो वम ग्यान । लिखमी धूजि निमे पाइ लागी, भले भले दरसण भगवान ||३|| वामण देव भयाणक विणयो, निमो निमो नरसिंघ नरेस । सुप्रसंन हुए जगतगुर सामी, पीरियो दास कहै परमेस ॥४॥
}} गीत ।। लालस पीरदान श्री परमेसरजी तू कही वाराह नर ना" . . , जि राजिया पराक्रम वाह । दात्रिडिाळ वडी तू डारण, तूं एकलमल भूत अथाह ॥१॥ ले गयौ देत रसातळि लखमी, ग्यौ म्रतलोक तणौ सहि ग्राम । रेण तणौ तू धिरणी राजियो, रेण उरी लै आतम राग ॥२॥ जळ मांही पैठौ जग जीवन, असुरा तणी भाजिवा आस । ताहरौ जारिगयौ हुौ त्रीकमा, प्रिथी मडागी कोड पचास ॥३॥ दीह किता लडियो दागव सू , हो । हरिणख रा मारणहार । पीरियो कहै नमो चक्रपाणी, कितरा युद्ध कीधा करतार ||४||