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लाछिवर हव लाख लसकर, घोडिला रो करो घूमर । घिणी नीली करीजं धर, पोखिया पळचर । फर्व फौजा चीध फरहर, साहिबा सिणगारसी घर । पणे पीरौ निमो नरहर, सामि तू सधर ॥ ५ ॥
|| गीत लालस पीरदान कहे ॥
सत धरम तर कजि ग्राव बडा छत्त, ग्यान रहौ गतिंवाळी ग्रामि । गिर भाखर वाळा गोसाई, सेतले चडि प्रिथिमीरा सामि ॥ १ ॥ करिहो कोप हिमैं कररणाकर, वाभरण वाभरण दोरा प्रतळवळ | कळस थपावि धरमरा केसव, प्रिथमी रै ऊपरि प्रघळ ॥ २ ॥ न्याउ करण नां आव वडा नर, गरढेरा दईता ना गोडि । घेन निवाजि हिमैं कांधो घर, छोगाळा व ळ बधरण छोडि ॥ ३ ॥
राजेसरा प्रथमी रा राजा, नरहर गुर लिखमी रा नाह । आव उरो काइ ढील करें प्रति, पीर कहे मोटा पतिसाह || ४ |
|| लिखतू लालस पीरदान ||
|| गीत लालस पीरदान रौ कह्यौ ॥
राघव देखि राजा, भरत सत्रघरण लक्षण भ्राजा । राज करसे राम राजा रामचद राजौ प्रमेसर वाधिस पाजा, लोपस दधि तरणी लाजा । साधुत्रां रा दीह साजा, वजाडो वाजा ॥ १ ॥ तुरत ही गुरु दोख टाळण, प्रभु चडियौ जगन पाळण । जयो दाग (व) वस जाळण, विदेही वाळण । गरव फरसे तरणी गाळण, ग्रापरी सुसरी उलाळण । क आयी वेच चाळण, असुरां उदाळण ॥ २ ॥
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