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जिन राजसरि रति-धुनुमा लि (११) श्री वज्रधर जिन गीतम
टाल-पीडानी
एक सवल मन नर धोखउ टल्या ,
___ लाधड साहिब चतुर सुजाण रे। जेहु भगति करिसु ते जाणिस्यइ,
वज्रधर केवलनाण प्रमाण रे ॥ए०॥१॥ दूर थकउ पिण जउ साच मनइ रे,
सुमरण करिस्यु वार विचार रे । तउ पिण ते अहल्यउ जास्यइ नही रे,
____ फलस्य भव भव कोड़ि प्रकार रे ।।ए०॥२॥ भतरगति अंतरजामी लहै रे,
ते प्रभु साचउ सुख नउ बोज रे । जे गुण नइ अवगुण जाणइ नही रे,
तेसु निसदिन करिवउ धीज रे।।ए०॥३॥ चूक पड़इ जउ किण ही वात नउ रे,
___ तउ पिण न धरइ तिलभर रीस रे । तूसइ पिण कईयइ रूसइ नही रे,
ए मुझ प्रभुनी अधिक जगीस रे ।। ए०॥४॥ ते तउ कहीयइ नाह न कीजीयइ रे,
जेहनइ आठे पहर अंधेर रे। श्री जिनराज' अवर सुं मीढता रे,
मेरु अनइ सरसव नउ फेर रे ॥ए॥५॥