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५. राजस्थानी साहित्य के प्राचीन और महत्वपूर्ण ग्रन्थों का अनुसंधान,
सम्पादन एव प्रकाशन
हमारी साहित्य-निधि को प्राचीन, महत्वपूर्ण और श्रेष्ठ साहित्यिक कृतियो को सुरक्षित रखने एव सर्वसुलभ कराने के लिये सुसम्पादित एवं शुद्ध रूप मे मुद्रित करवा कर उचित मूल्य मे वितरित करने की हमारी एक विशाल योजना है । संस्कृत, हिंदी और राजस्थानी के महत्वपूर्ण ग्रथो का अनुसंधान और प्रकाशन संस्था के सदस्यों को प्रोर से निरंतर होता रहा है जिसका संक्षिप्त विवरण नीचे दिया जा रहा है६. पृथ्वीराज रासो
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पृथ्वीराज रासो के कई संस्करण प्रकाश में लाये गये हैं और उनमे से लघुतम संस्करण का सम्पादन करवा कर उसका कुछ अंश 'राजस्थान भारती' में प्रकाशित किया गया है । रासो के विविध सस्करण और उसके ऐतिहासिक महत्व पर कई लेख राजस्थान-भारती से प्रकाशित हुए हैं ।
७. राजस्थान के अज्ञात कवि जान (न्यामतखा ) की ७५ रचनाओ की खोज की गई। जिसकी सर्वप्रथम जानकारी 'राजस्थान -भारती' के प्रथम श्रक मे प्रकाशित हुई है । उसका महत्वपूर्ण ऐतिहासिक काव्य 'क्यामरासा' तो प्रकाशित भी करवाया जा चुका है ।
८. राजस्थान के जैन संस्कृत साहित्य का परिचय नामक एक निवध राजस्थान भारती मे प्रकाशित किया जा चुका है ।
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६. मारवाड क्षेत्र के ५०० लोकगीतों का संग्रह किया जा चुका है । वोकानेर एव जैसलमेर क्षेत्र के सैकडो लोकगीत, घूमर के लोकगीत, वाल लोकगीत, लोरिया
• और लगभग ७०० लोक कथाऐं सग्रहीत की गई हैं। राजस्थानी कहावतो के दो
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भाग प्रकाशित किये जा चुके हैं । जीरणमाता के गीत, पावूजी के पवाडे और राजा भरथरी आदि लोक काव्य सर्वप्रथम राजस्थान भारती' मे प्रकाशित किए गए हैं । १० बीकानेर राज्य के और जैसलमेर के अप्रकाशित अभिलेखो का विशाल सग्रह 'बीकानेर जैन लेख संग्रह' नामक वृहत् पुस्तक के रूप मे प्रकाशित हो चुका है ।