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जिनराजसूरि कृत कुमांजलि
१६२
गय ६४ गति चउरिदि. ५५ चौरिन्द्रिय गलिसाहै १४० गला पकड़कर
चार इन्द्रिय गाने १८९ ज्ञाने
वाले जीव गुणठाणे २११ गुणस्थानक चउसाल गुहिर १६९ गभीर
चकरडी २२६ काठ की गूडी , २३१ पतग .
चकरी गुरुलह परगज ५४
(खिलौना) गोठिसे . १४१ संलग्न करेगा चटडा २२७
छात्र - गोरस १५६ दूध . चन्द्रोदय २३५ चन्द्रोवां,
___ चांदनी चरड
१८४ चोर डाक घरणी १६३ गृहिणी
चहि
२१० चिता घाइ ५४ घात
चाख ३१ दष्टिदोष, घाट १०७, १७७ न्यून
नजर घातिसु १५१ डालू गा
चाखिवउ १९४ चखना घालइ .. १७३ डालती है
चाम २११ चमडी घास १२८ घिसती है चीतराव्यउ २३० याद दिलाया घिरइ ३ लौटते हैं चादलउ १८४ चन्द्र . घोल . १३४ दही का गाढा
चादलस २२५ तिलक
चाप्यउ घोल
७५ दबाया । ___ ..
चावइ १६३ चाहता है
चितवी १६२ सोचकर घउ - ५४,५६ चार चीर १४५ वस्त्र ओढणा चउतरइ. १६३ चौतरा
१७६ भूल चनाणी १८८ चार ज्ञान चौनाणी १३८, १६४ देखो(मन पर्यवज्ञान)
चउनाणी धारी चौवारे १४३, १५३ चतप - १८६ चतुराई चोलणा- ८. वेश