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'बहुत धर्म कार्य किए । आसकरण' के पिता अमरसी और माता प्रमगदेवी और स्त्री का नाम अजाय बदे था । अमीपाल, कपुरचंद भाई, ऋषभदास और स रदास नामक बुद्धिशाली पुत्र थे। संघपति आसकरण चोपडा ने शत्र जय संघ, जिनालय निर्माण, पदस्थापना महोत्सव आदि धर्म कार्य किए।
भट्टारक श्री जिनराजसूरिको जेपलमेरके राउल कल्याणदासने विनति करके जेसलमेर बुलाए, स्वागतार्थ कुमार मनोहरदास को भेजा । भणसाली जीवराजने प्रवेशोत्सव किया । सूरिजीने चातुर्मास किया, उनके प्रभाव से वहां सुकाल हुआ। बहुतसे धर्म कार्य हुए पय पण मे अमरसिंह के पुत्र जीदासाह ने पौषध वालों को। सेर खाँड और नकद रुपये की प्रभावना की। राजकुमार मनोहर दास प्रतिदिन वन्दना करने आते, राउलज़ी बहुमान देते थे। संघपति थाहरू शाह जो श्रीमलशाह के सुपुत्र थे,ने लौद्रव
१- मेडता में इन्होंने शातिनाथ जिनालय बनवाकर अनेक विम्बो की प्रतिष्ठा जिनराजसूरि से करवाई थी। प्रतिष्ठा लेख नाहर जी के जेन लेख संग्रह मे लेखाक ७७१,७८४,७८७ में प्रकाशित है जिनमें इनके सम्बन्धमें लिखा गया है कि गणधर चोपडा गोत्रीय अमरसी भार्या अमरादे पुत्र रल प्राप्त श्री अर्बुदाचल विमलाचल संघपति तिलक कारित युगप्रधान,श्री जिनसिंहमूरि पट्टनन्दिमहोत्सव विविध धर्म कर्तव्य विधायक सापकरणेन | xx'स्वयं कारित मम्माणीमय विहार-शृंगारक श्री शांतिनाथ विम्बंकारित(स'०१६७७ जेठ बदि ५ गुरुवारका प्रतिष्ठा-लेख) २-इनके सम्बंध में स्वयं जिनराजसूरि जी ने एक गीत बनाया है जो इसी ग्रंथ के पृष्ठ ६७ मे प्रकाशित हैं । इनकी वंश परम्परा और धार्मिक कार्यों के संबंध में महोपाध्याय समयसुदर के शिष्य वादी हर्षनदन ने एक प्रशस्ति बनाई है । सं० १६७५ मिगसर सुदि १२ गुरुवार, को इन्होने लोद्रवे तीर्थ का उद्धार करवाया और मति की प्रतिष्ठा जिनराजसूरि से करवाई। उनके लेख नाहरजी के जैन लेख संग्रह नं० २५४४,
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