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________________ ६४. श्री नंदिषेण गीत १० साघुजी न जइयइ जी पर घर एकला ७५ १५. श्री गजसुकुमाल मुनि गीतम् । स वेग रस माहि झोलतउ ७६ ६६. श्री स्थूलिभद्र गीतम, ३ थूलिभद्र न्यारी भांति तिहारी ७७ ६७. श्री विजय सेठ विजया सेठानी गीतम ३ पालो धन वो प्रिय धन वा प्यारी७७ १८. श्री दमयन्ती सती गीतम् ११ छोड़ि चल्यउ 'नलराई' ७८ ६६. श्री सती कलावती .. गीतम् ६ बांहे पहिरथा बहरखा ७६ १००. श्री मयरगरेहा सती गीतम् ७ लघु बांधव जुगवाहु नइ रे हां ८० १.१ श्री सीता सती गीतम ५ जब कहइ तुझ पनवास रे ८१ १०२. श्री सती सीता ' गीतम, ६ लखमणजी रावीर जी हो जीवन ८२ ७५ रामायण सम्बन्धो पद १०३. मदोदरी वाक्यम, ३ मंदोदरी बार वार इम भाखइ ८४ १०४. मंदोदरी वाक्यम्, ३ प्राज पीउ सुपनइ खरी डराई ८४ १०५. मंदोदरी वाक्यम ३ सीय की भीर रघुवीर धायउ ८५ १०६. सीता विरह - ३ सीय सीय करत पीय १०७. राम वाक्य । . सुभटानाम् ६ असुरपति आपणि कमाई तई ८६ १०८. हनुमंत वाक्यम् ३ जु कछु रघु राम कहइ सोऊ करिहुं ८६ (ए)
SR No.010756
Book TitleJinrajsuri Krut Kusumanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1961
Total Pages335
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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