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वीरवांण . मदु अषै वीरमा धीरज नह धारी। लाष गुना मै जारीया जोय जरणा मारी ।। वात कही मुष वीरमै सुण मदु मारी। थे नह गुना जारीया जरणा दलारी ।। दला विनां तुं जारतो थिर जरणा थारी। मदु आषै वीरमा क्या मरजी थारी ॥ वीरम कहीया बादमै पाषर उपगारी । वांण बंदूक कवांणकी तद चोट पलारी ।। भड सारा मांसु भिडो तोले तरवारी । . जद मदु हुं जांणसुं थिर जरणा थारी || कहीयो मदु कटककुं सुंणजो भड सारी । वीरमसु जुध जुटजो तो ले तरवारी ।। वाँण बंदुक कवांणकुं दुरी कर डारी ।।
- दहा .
.. दाषे मुष देपालदे, सांभल मदु सोय । वीरमसुं जुध वाजबा, कदम न धरसी कोय ॥ इतरी बातां आगमैं, मानव कुण जग मांय । वकारै कुण वीरमो, सांमी पाग संभाय ।
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नीसांणी लोप भवर गिर लंकरो कुण जावै बारै । अाभ भुजां कुण अोढमै कुण सायर जारै ।। मिणधर दे मुष अंगुली मिण कवण लिवारै। सिंह पटा झर सांप हो कुंण मैंड पधारै ।। "तेरु कुण सायर तिरै जमकुं कुण मारै । "बाद करै रिण वीरमो नर कोण वकारै ।।