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वीरवाण
बंदडै बारा झूपड़ा, कर खेती विणपार । वीर[म]देरै हुकुमसुं, हालै - दसुं हजारः ।।
- नीसांणी .. .. .. ... सिंध दिली सुरतांणरी फोजां चढ़ आई। सांपो दलों जाइयों भड़ सातों. भाई ।। वीरम 'बोल्यो 'बीरंवर बंको वरदाई। दूं माथो नह दूं दलो वर घर सिर जाई । एण . जबानी ऊपरां · कमर कसवाई । बीडंगा चढीयां वीरवर समसेर समाई ।। केता दुसमण काट कर फोजाँ फिरवाई । मीर केइ रिण मारीया वीरम वरदाई । आइ न जोयां ऊपर तिल एक तवाई ।।
... दूहा . वीरम मालै वीरवर, अरिअण दिया उठाय । सरब फोज पतसाहरी, पाछी गी पिछताय ॥ वरस किताईक बीतिया, जोइया रहिया जाय । कीयो ठांण अस काळमी, बेटी भई बलाय ॥ जोइया अस लाया जकी, जिणरों नाम जवादः । प्रगटी उणरा पेटरी, साकुर नाम समाद ।। तिका हुई ब्रस तीनमै, बसुधा हुवा वषाण । मुंडा आगळ मालरै, किणीयक कीधी प्राण ॥ मुंडा आगळ मालरै, सो प्रांणी वरहासः। के पाबुरै कालमी के, सुरज रै सपतास ॥ मलीनाथ मांगी मुंषां, साकुर मोल समाध । जकां न दीधी जोइयां उणसुं वधी उपाधं ॥
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