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________________ वीरवाण . तदुपरान्त कवि ने दोनों दलों की ओर से वीर गति प्राप्त करने वाले योद्धाओं के नाम दिये हैं-- निसारणी पडीया वीरम पापती संग इतरा सुरा। सोलंपी माधो सुभट पडपेत सनुरां ।। पडीयो चायल सैंसमल पल कर भप भूरा । भीम पडै रिण सांपलो तन कर चक चूरा ।। दोलो पड़ मोयल दुझल पत्रवट वट पोर । हजूरी वनी पड़े दोयण दल दोर ॥ पडीयो आहेड़ी पनो झडीयो पग झोर । सांणी पड़ पांणक सुभट कीर मर तन कोर ॥ मांगलीयो मंगलो पडै जग सारौ जाणे । . सहंस दोय पड सूरमा पापर हय पाणै ॥ वीरम संग वीठीया विहद तद ऊंची ताणै । अछरां वर पोहता इता श्रग बैठ बिमाणे ।। .. ॥ दूहा ॥ सोडा हाडा सिसोदा, पड़झाला अरु गोड़। चावड़ा तुर चबांण पड़, रिण पड़ीया राठोड़ ॥ जोहियों की ओर से मारे गये योद्धाओं का वर्णन इस प्रकार किया गया है जस रिण में जूझीयों कर जोस हमला । मदु जैल रिण रहे झड तेगा झला ॥ घट फूटा देपालदा धुड़ले वर चला। दोय सहंस जोया दुमल हुरां संग हला ।। चढीया डोली · चारसै गिरणै गलबला । , सब आया साही बांण में कर अला अला ॥ ... दलो कहै मै वरजीया मानी नर कोई। वीरमसु जुध बाजनै सब सेन कराई ।। . मारे वीरम रिण मुवा भड़ च्यारू भाई। धूड़ बलोइण धाडनै जो कीधी सो पाई। .
SR No.010752
Book TitleVeervaan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRani Lakshmikumari Chundavat
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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