________________
वीरवाण
निकला । धीरदेव इस अमें में पूंगल के राव राणगदे भाटी के यहां विवाह करने गया था ।
और उसके विछोने पर उसकी बेटी सोती थी, धीरदेव के भरोसे तलवार झाड़ी। उसकी कृपाण उस बाला को काट, बिछौने को चीर, पलंग को काटती हुई घट्टी से जा खटकी। इसी से वह तलवार 'रलतली' प्रसिद्ध हुई । जत्र दल्ला मारा गया तो उसका भतीजा हांसू ' पडाईये नाम के घोड़े पर चढ़ धीरदेव को यह समाचार पहुंचाने के लिए पूगल को दौड़ा । धीरदेव विवाहोत्तर अपनी पत्नी के पास सोया हुआ था, कंकन डोरडे अब तक न थे। पहर भर रात्रि शेष रही होगी कि घोड़ा पड़ाइया हिन हिनाया. । धीरदेव-की. अखि खुल गई, कहने लगा कि पड़ाइया हिन हिनाया । साथ के नौकर चाकर बोले, जी!. इस वक्त यहां पड़ाइया कहां ? इतना कहते तो देर लगी कि हांसू सन्मुख आ खड़ा हुआ।धीरदेव ने पूछा कुशल तो है ? उत्तर दिया कि कुशल कैसी, गोगादेव बीरमोत ने आकर तुम्हारे पिता दल्ला को मारा, अब वह वापस जाता है। धीरदेव तत्काल उठा, वस्त्र पहने, हथियार बांधे, घोड़े जीन कराया, सवार होने ही को था कि राव गणगदेव भी वहां आगया, कहने लगा कि कंकनडोरे खोलकर सवार होो। धीरदेव ने उत्तर दिया कि अब पीछे- . श्राकर खोलेंगे । तत्र तो राव राणगदेव भी साथ हो लिया और दोनों चढ़ धाये ।,आगे गोगादेव पदरोला के पास ठहरा हुआ था, घोड़ों को चरने के लिए छोड़ दिया था, साथ सब जल के किनारे टिका हुआ था । भाटी और जोइये . निकट पहुंचे । घोड़े चरते हुए देखे तो जान लिया कि यह घोड़े गोगादेव के हैं, तब उनको लेकर पीछे फिरे और पदरोला श्रये । कटक प्यासा हुआ तब कहने लगे कि जल पीकर चलें। जलपान किया, घोड़ों को भी पिलाकर ताजा कर लिया और फिर दो टुकड़ी हो दोनों तरफ से बढ़े । इन्हें देखकर गोगादेव ने पुकारा-अरे घोड़े लायो ! तब ढीढी ( कोई नाम ) बोला-"अरे ! गोगादेव के घोड़े नहीं मिलते हैं, जोहिये ले गये, छुडायो।' युद्ध शुरू हुआ । भाटी जोहिया राठौडों से भिड़े । गोगादेव घावों से पूर होकर पड़ा, उसकी दोनों जंघा कट गई, उसका पुत्र ऊदा भी . पास ही गिरा । घायल गोगादेव अपनी माण की तलवार को टेके बैठा घूम रहा था कि राव राणगदे घोड़े चढ़ा हुआ उसके पास से निकला तो गोगादेव कहने लगा "राव राणगदे का बड़ा सांका (साथ) है । हमारा पारवाडा (जुहार ? ) ले लेवे।" राणगदे ने उत्तर दिया कि "तेरे जैसी विष्ठा का पारवाडा हम लेते फिरे" इतना कहकर वह तो चला गया और धीरदेव आया । तब फिर गोगादेव ने कहा "धीरदेव तू वीर जोहिया है, तेरा काका मेरे. पेट में तड़प रहा है, तू मेरा पारवाडा ले " यह सुन धीरदेव फिरा, गोगा के निकट प्रा. घोड़े से उतरा । तब गोगा ने तलवार चलाई और वह पास आ पड़ा । गोगा ताली देकर हंसा, तब धीरदेव ने कहा- 'अपना बैर टूटा, हमने तुझे मारा और तूने धीरदेव को, इससे महेवे की हानि मिट गई।" धीरदेव के प्राण मुक्त हुए तब गोगादेव बोला "कोई हो तो सुन लेना। गोगादेव कहता है कि.राठोडों और जोहियों का बैर तो बराबर हो गया, परन्त जो कोई जीता जागता हो तो महेवे जाकर कहे कि राव राणगदे ने गोगादेव को "विष्टागाली" दी है सो बैर भाटियों से है ।'' यह बात झीपां ने सुनी और महेवे जाकर सारा हाल कहा ।