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दनिया का सोचने का ढग दूसरा है। तुझे दूसरे ढंग से सोचना चाहिये। दुनिया का सोचने का ढग अशान्ति पैदा करता है। तू जानी है। तू भी ससारी अज्ञानी की तरह सोचता है।
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इसीलिये तो ज्ञानी दुनिया का ज्यादा नहीं करते। करते है तो दुनिया की सुनते नहीं, दुनिया को सुनाते है।
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