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क्या-तू मुविधाओ का सुख चाहता है ? ये ही दुख है। सुविधाओ मे सुख की कल्पना, भ्रम है | मानव तू सोच-विचार
सुविधाओ के मुख मे पूर्णविराम कहाँ है ? ___इच्छाओ की सफलता का सुख क्या तू चाहता है ? इच्छाओ का अन्त कहाँ है ? इच्छाओ से मुक्त होने पर जो सुखानुभव होता है, उसका अनुभव करना आवश्यक है ।