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[ २७ ] "लोक खलु आधार. सर्वेपा ब्रह्मचारीणाम्' । साधुपुरुपो का आधार लोक है, अर्थात् समाज है । आर्य संस्कृति के आधार पर बनी हुई समाज-व्यवस्था साधुपुरुषो की साधना मे सहायक वन सकती है , यदि समाज व्यवस्था आर्यसस्कृति से पृथक् हो जाय तो साधुपुरुषो की साधना क्षतिग्रस्त हो जाय। इसलिए समाज व्यवस्था के प्रति साधुपुरुषो को लक्ष्य करना चाहिये, उपेक्षा नही करना चाहिये।
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