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दख ही तो दृष्टि देता है ! तू दु खो से क्यो डरता है | आज जो तेरे पास विकसित दृष्टि है, दुःखो की देन है । दुखो से प्यार कर · 'जीवन तेरा आनन्दमय बन जायगा। दु.खो से दृष्टि प्राप्त करने का प्रयत्न कर।
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कर्मों की प्रवलता का रुदन करने के बजाय परमात्मा की अनन्त शक्ति पर विश्वास करना श्रेष्ठ है। इससे मन निर्भय बनता है।
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