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श्री चपापुर निर्वाण क्षेत्र पूजन सतो की भाषा सतो का संबोधन कल्याण स्वरुप । सर्वाकुलता क्षय करने का साधन अद्भुत शान्त अनूप ।।
जयमाला सिद्ध क्षेत्र चपापुरी भरत क्षेत्र विख्यात । वासुपूज्य जिनराज ने किए कर्म वसु घात ॥१।।
और अनेको मुनि हुए इसी क्षेत्र से सिद्ध । विनय सहित वन्दनकरूँ चरणाम्बुज सुप्रसिद्ध ॥२॥ जय जय वासुपूज्य तीर्थंकर जय चपापुर तीर्थ महान । गर्भ जन्म तप ज्ञान भूमि निर्वाण क्षेत्र अतिश्रेष्ठ प्रधान।।३।। नृप वसुपूज्य सुमाता विजया के नदन ससार प्रसिद्ध । वासुपूज्य अभयकर नामी बाल ब्रम्हचारी सुप्रसिद्ध ।।४।। स्वर्ग त्याग माता उर आए हुई रत्न वर्षां पावन ।। जन्म समय सुरपति से नव्हनकिया सुमेरु पर मन भावन ।।५।। यह ससार असार जानकर लद्यवय मे दीक्षाधारी । लौकातिक ब्रम्हर्षिसुरो ने धन्य ध्वनि उच्चारी ॥६॥ सोलह वर्ष रहे छास्थ किया चपापुर वन मे ध्यान । निज स्वभाव से घातिकर्म विनशाये हुआ ज्ञान कल्याण।।७।। केवलज्ञान प्राप्त कर स्वामी वीतराग सर्वज्ञ हुए । दे उपदेश भव्य जीवो को पूर्ण देव विश्वज्ञ हुए ।।८।। समवशरण रचकर देवों ने प्रभु का जय जयकार किया । मुख्य सुगणधर मदर ऋषि ने बदशाग उद्धर किया ॥९॥ चपापुर के महोद्यान मे अतिम शुक्ल ध्यान ध्याया । चउ अघातिया भी विनाश से परम मोक्ष पद प्रगटाया ॥१०॥ जिन जिनपति जिन देव जगेष्ट परम पूज्य त्रिभुवननामी । मैं अनादि से भव समुद्र मे डूबा पार करो स्वामी ।।११।। चपापुर में हुए आप के पाचों कल्याणक सुखकार । चरण कमल वदन करता हैं जागा उन मे हर्ष अपार।।१२।।