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प्राक्कथन अध्यात्म रस के प्रेमी कविवर श्री राजमल जी पवैया भोपाल द्वारा रचित "जैन पूजान्जलि' का यह ११ वो सस्करण प्रस्तुत करते हुये हमें हार्दिक प्रसन्नता हो रही है । अभी तक विभिन्न सस्थाओं द्वारा जैसे सहारनपुर- दिल्ली विदिशा बम्बई एवं भोपाल से- ३१००० प्रकाशित हुई है समाज में इसका जिस द्रुतगति से प्रचार हुआ है वह अवर्णनीय है ।
श्री पवैया जी ने तत्व प्रचार की भावना से ओतप्रोत आध्यात्मिक तत्व को आधार बनाकर भक्ति रस पूर्ण पूजनों की रचना की है । इन पूजनों के माध्यम से प्रतिदिन लाखो श्रद्धालु व्यक्ति जिनेन्द्र अर्चना का पुण्य लाभ लेते हैं ।
चारो अनुयोग-प्रथमानुयोग चरणानुयोग करणानुयोग एव द्रव्यानुयोग के भावों से गर्भित ये रचनाये समाज में मर्वाधिक प्रचलित है तथा जिन पूजन में तो समर्थ हैं ही किन्तु एकान्तमेंचिन्तन मनन करने के अदभुत सामर्थ से भरी है । वैसे तो पवैया जी ने तत्कान से ओतप्रोत अनेको विधान पूजन गीत भजन रचे हैं । अब तक उनके द्वारा १५० से अधिक पूजनों ५०० स्तुति, गीत २५०० आध्यात्मिक गीतों व २० विधानों की रचनायें की गई है । इस युग की उनकी मर्वश्रेष्ठ कृनि इन्द्रध्वज मडल विधान है । जो करणानुयोग एव द्रव्यानुयोग से परिपूर्ण है।अभी हाल ही मे आपका शान्ति विधान, ऋषि मडल विधान, चौसठ ऋद्धि विधान एवं श्रुतस्कंध विधान प्रकाशित हुये है । जो वीतरागता से ओत प्रोत है ।
___ आचार्य कुन्द कुन्द देव द्वारा रचित ग्रन्थाधिराज समयसार में आत्मा की अनेक शक्तियों का वर्णन आता है । उनमें से अमृत चन्द्राचार्य ने मुख्य ४७ शक्तियों का वर्णन किया है । यह कथन अत्यन्त क्लिष्ट एव दुरुह होने के कारण सर्वसाधारण इनका लाभ नहीं ले पाता है किन्तु श्री पवैया जी ने ४७ शक्ति विधान की रचना कर इस दुरुह विषय को अत्यन्त सरल बनाकर अनन्त सिद्धा का भक्ति, अभिषेक कर दिया है । यह रचना अभूत पूर्व है । इसके प्रकाशन की भी याजना है।
इम रचना के प्रकाशन में जिन दान दाताओ ने दान देकर इसके मूल्य कम करने में जो आर्थिक सहयोग दिया है वह सब धन्यवाद के पात्र है ।
इसके अतिरिक्त इसके प्रकाशन में जिन मुमुक्षु बधुओ ने प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से जो सहयोग एव प्रोत्साहन दिया है वे सब धन्यवाद के पात्र है ।
इसके सुन्दर प्रकाशन में बाक्स कारूगेटर्स एण्ड आफसेट प्रिन्टर्स मी धन्यवाद के पात्र है । आशा है कि यह “जैन पूजान्जालि आप सब के मोक्ष मार्ग प्रशस्त करने में निमित बने
सौभाग्यमल जैन स्वतत्रता संग्राम सेनानी
सरक्षक
राजमल जैन अध्यक्ष
श्री दिगम्बर जैन मुमुक्षु मडल भोपाल