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स्थिति रहेवी बहु विकट छ, निमित्ताधीन फरी फरी वृत्ति परित थई जाय छे एनो दढ उपयोग राखको जोईए
ए क्रम यथायोग्य पलान्यो आवीश तो तु मझाईश नहीं, निर्भय पईश
हे जीव ! तु भूल मा पावते वखन उपयाग चूकी पोईने रजन परवामा, कोईथी रजन पवामा, वा मननी निर्वळताने लीधे अन्य पासे मद यई जाय छे ए भूल पाय छे, नपर
मुबई, फागण, १९४६
(२०) विवासयी वर्ती अयया वर्तनारा आजे पस्तायो __'पर छे"
मुबई, अपाड वद ५, रवि १९४६
(२१) १ 'अणु छनु 'वाचा वगरनुमा जगत सो जुआ
मुबई, अपार पद ११, धनि, १९४६ पाठातर १ करावे हे २ अणछनु ३ यामाधारन