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परिणामे पण पस्ताओ छो, तो ते कृत्यने पूर्वकर्मनो
दोप ज्ञानीओ कहे छे ६७ जडभरत अने जनक विदेहीनी दशा मने प्राप्त थाओ. ६८ सत्पुरुषना अत करणे आचर्यो किंवा कह्यो ते धर्म.
६९ अंतरग मोहनथि जेनी गई ते परमात्मा छे ___७० व्रत लईने उल्लासित परिणामे भागशो नही ७१ एकनिष्ठाए ज्ञानीनी आज्ञा आराधता तत्त्वज्ञान प्राप्त
थाय छे. ७२ क्रिया ए कर्म, उपयोग ए धर्म, परिणाम ए बघ, भ्रम
ए मिथ्यात्व, ब्रह्म ते आत्मा अने शका ए ज शल्य छे शोकने सभारवो नही, आ उत्तम वस्तु ज्ञानीमोए
मने आपी ७३ जगत जेम छे तेम तत्त्वज्ञाननी दृष्टिए जुओ ७४ श्री गौतमने चार वेद पठन करेला जोवाने श्रीमत्
महावीरस्वामीए सम्यक्नेत्र आप्या हता. ७५ भगवतीमा कहेली पुद्गल नामना परिव्राजकनी कया
तत्त्वज्ञानीओनु कहेलु सुंदर रहस्य छे. '