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६९५ दोपनु प्रायश्चित्त करीश ६९६ प्रायश्चित्तादिकनी विस्मृति नहीं कर ६९७ सघळा करता धर्मवग प्रिय मानीश ६९८ तागे घम त्रिकरण गुद्ध सेवामा प्रमाद नहीं कर
बनीस योग सत्पुरुषो नीचेना वोस योगना सग्रह परी आत्मान उज्ज्वळ करवान कहे छ १ गिष्य पोताना जैवो थाय तने माटे तेन धुतादिर
ज्ञान मापवु *२ पोताना आचायपणानु जे मान हाय तना अयने योध
यापचो बने प्रयास करता
* पाठातर-१ मौसमाधा योग पाटे गिप्ये आपाय पाम बागचना परया थानार्य बाPITना श्रीगा पाग प्रवाशवी नही