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(७३ ) इनके तीनही अलाहिदा अलाहिदा लिंग (चिन्ह) ह। ___ ताप रजोगुणका चिह्न है, और दैन्यता तमोगुणका लिंग (चिह्न) है । इनद्वारा हम जान सक्ते हैं। कि इसवक्त हमारे अदर फलाना गुण मौजूद है । इन तीन गुण करके जगत् व्याप्त है । मगर उर्घ लोग अक्सर देवोंमें सत्वगुणकी अधिकता है और अधो लोगमें रहने वाले तिर्यञ्च तथा नर्कमें तमो गुणकी अधिकता है। मनुष्योंमें रजोगुणकी अधिकता है । देखिये, सोहि वात सारय सूनकी कारिका-५४ में पयान है। ऊर्ध्व सत्वविशालस्तमो विशालश्च मूलत सर्ग ॥ मध्येरजोविशालो ब्रह्मादिस्तम्ब पर्यन्त ॥१॥
मतलप उपर कह चुके है । जब इन तीन गुणांकी समावस्था हो जाती है प्रकृति नामा तत्त्र कहलाता है । इसके बाद तेईस पार्थ पैदा होतेहैं इनका क्रम तथा नाम नीचेवमूजन समझें । प्रकृतेमहास्ततोऽहंकारस्तस्माद्णश्च पोडशक ।। तस्मादपिपोडशकात् पञ्चभ्य पञ्चभूतानि ॥ १॥
यह साख्य मूनको तेतीसमी फारिका है।
अर्थ-प्रथम प्रकृतिका स्वरूप लिखा गया है उस प्रकृतिसे जडसुद्धि पैदा होती है । जिस्का दूसरा नाम महान्भी है। यु