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________________ (३२७ ) घोडे वगैरा साथ लेकर मागानेरको आपकी पेश कदमीम आये आपके फतेपुर पहुंचकर जगमलकच्छवाहके महलमें मुकाम हुए और दूसरे रोज शाही दरवारमें दाखिल हुए लेक्नि वादगाह दिगरकारमे मशगुल होने के बने अशुलफजलको मुरिजी सागतमें भेजा मिजाज पुरसी वाद आलफजलने पुनर्जन्म और उद्धारके निसान सवाल पूछे सवत्र उसका इस वायतम कुरा गरीफपर एतेगार नधा मूरिनीने उक्त मन्नाके उत्तर दिये परमेश्वर किसीसे निसरत नहीं रखता मानिक मर्यके ऐच और तेजस्वी है खैर जर परमेश्वर प्रल्यमें इन्साफ देगा तर कौनमे इरासपर जल्वानुमा होगा और जीवों को स्वर्ग औ नर्कमें मोकर भेजेगा ? पर्वमें पदयानक क्येि मके अनुसार प्रा. णी गति पायेगारपा ? खैर खैर उसे कर्ना रयाल करो तो से पांकी क्या जरूरत है। इसपर अधुलफजल बोला इT बातोपर पैमपरके फरमान वडा एतराज है ! मुरिजीने कहा बमाण भुय प्रभुरतमतत्पृष्टा जगापूर्वमिन विधते । तत्केतुबत्वहरते स पवात्ततोऽस्ति, तस्यायसमभ्रमोऽसौlt ॥१४९॥
SR No.010736
Book TitleJain Nibandh Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand J Gadiya
PublisherKasturchand J Gadiya
Publication Year1912
Total Pages355
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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