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पर एक भयानक सिंह पड़ा हुआ दिखाई दिया । उसने गोवमें पहुंचते ही उस सिंहमा हाल वहां निवासियोंको कह लुनाया । वास्तवमे उन लोगोने अपनी आंखोसे सिंह को देखा नहींथा; परन्तु उनमेंसे कितनेकने तो मनुप्यके अनुभव पर विश्वास करके यह शोचा कि कदाचित् जो सिंह शहरके अन्दर आ जाय, तो पहिले हीसे हथियार तैयार रख के सचेत रहना अच्छा है और कितने कोने उस वातको सुनी ना सुनी करके कुच्छ ध्यान न दिया । जो सिंह गांवमें नहीं जाता तो किसीको कुछ भी बात नथी, परन्तु कुछ सम यके वाद दैव योगसे वह एका एक गांवमें घुस गया । उस समय जो पहिलेसे सचेत हो रहेथे उन्होंने जो उसका सामना करके अपना बचाव कर लिया, पर जो उस मनुष्यको वात पर कुछभी विश्वास न करके अचेत रह गये थे, उनमें से कई एकोको सिंह मारने लगा, और वे सबके सब लोग घबड़ा उठे । ऐसी ही दशा ईश्वरके होनेमें विश्वास नहीं करने वालों की भी क्यों न समझनी चाहिये ।
__ जगत्म समस्त प्राणि मात्रकी स्थितिको और देखने से यही जान पड़ता है कि ये सब परतंत्र है ! रोगी होना कोई भी नहीं चाहता है; पर भिन्न २ प्रकारके रोग आ घेरते हैं; पैसेवाले वननेकी तो कई इच्छा करते हैं; परन्तु कोई २ तो