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________________ ( २५१ ) कथं शुभायतीर्भावी सस्वामीद्रोह पातकी । धर्मसे सर्व ठकुराई प्राप्त हुई है तो इसको छोड़ने वाले स्वामीद्रोहीका कदापि काल भला नहीं हो सकता, अतएव धर्म सेवना अवश्य है प्र० साप्रतमें तो श्रीमती जैन कान्फरसके प्रतापसे जगह • जैन पाठशालाए स्थापित हो गई है तो हमारे बालकों को वहा पर धार्मिक शिक्षा मिलती रहेगी, इसमें उन्हों के यामिक सस्कारभी दृढ वन रहेंगे क्या फिरभी वे धर्मसे विमुस रहेंगे ? और यदि कहोगे कि रहेंगे तो फिर क्या उपाय है कि जिनसें वे पूर्ण धर्मीप्ट पनसकें । उ. आपका कथन योग्य है, जगह २ पाठशालाए स्थापित हुई है उनके द्वारा अवश्य हमारे बालकोंको धार्मिक शिक्षा मिलेगी, परतु आज कल जो बहुतसी शालाओंमे शिक्षा की पद्धती दृष्टींगोचर हो रही है उसस यथेच्छ सीमाको पहुचना कठिन है, कारण विद्यार्थीयोंको जैन-चर्मके तत्वो सनधी कुठभी ज्ञान नही मिलता हमारी पाठशालाओरी पार्मिक शिक्षा कुछ समय व्य. वहारिक शिक्षासे मिलता होना चाहिये वो नहीं है जैन गालाओंमें केवल शुक वाला राम गम कठाग्रपाठ
SR No.010736
Book TitleJain Nibandh Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand J Gadiya
PublisherKasturchand J Gadiya
Publication Year1912
Total Pages355
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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