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(२४०) और अक्षय वस्तु है, इसका महात्म्य ज्ञानी पुरुषोंने पारावार अगम्य कथन किया है. ज्ञानके बलसे कठिनसे कठिन वस्तु भी सहजमें मिल सकती है और इसी लिये इंग्रेजी कहनावत " ( Knowledge is power ) ज्ञान. यह एक शक्तो है " प्रसिद्ध है. ___ज्ञान यह मनुप्यके रत्न त्रयमेका एक आत्मिक गुण है जो ज्ञालावर्णिय कर्मोके गाढ आवाँसे पूर्णत: आच्छादित होया हुआ हानेसे मनुप्यको अपने निजगुणका भाव नहीं करासक्ता क्रमशः इन आवोंको दूर करके विशुद्ध ज्ञान गुण (केवल ज्ञान) प्रगट करनेकी शक्तीभी केवल मनुष्य मात्रके अंदरही है; परन्तु इस महान कार्यको सिद्ध करनेके अनेक उपाय जैसे साधुव्रत, श्रावकवत, तपश्चर्या, सत्संगती, ज्ञानाभ्यासादि श्री कृपालु जिनेश्वर परमात्माने अपने आगमोमें कथन किये हैं उन्होंको शुद्धरोतिसे योजकर उन्हें अंगीकार करनेकी हमें पूर्ण आवश्यक्ता है ॥ ___ज्ञानाभ्या करना यहभी उपरोक्त उपायोंमेंका एक मुख्य है तो हमें प्रथम इसी उपायके ऊपर आरूढ होकर इसीके विषयमें यथामती लिखना आवश्यकीय हुवा है.
सांप्रत समयमें जो ज्ञान हमारे बालकोंकों प्राप्त होता है वह यदि धार्मिक ज्ञान हो अथवा व्यवहारिकहो वो उन्ह