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( १९८) इससे ज्ञातिके सर्व मनुप्योंका कर्तव्य है ऐसे हीनकारक रिवाजोंको विलकुल उत्तेजन नहीं देना चाहिये, इतनाही नहीं परन्तु इस दुष्ट रूढीका अपने प्यारोमें पैरही नहीं रखने देना, यदि प्रवश हुई हो तो उसको निकाल देना चाहिये और इस रीतिसे वेचारे गरीब लोगोकोपड़ते हुए वोझ से मुक्त करने चाहिये।
मृत्युके बाद नुकतेका रिवाज दर करना यह गरीब लोगोंका काम नहीं है, सेठिये तथा अग्रेसरोंको इकट्ठे होकर ठहराव करना चाहिये, कि कोई घरको मृत्यु हो तो नुकता (जीमनवार) विलकुल करना नहीं, और यह पहिले पसवालोंने निकालनी चाहिये. कितनीक वक्त ऐसा होता है कि जातिके बन्धेहुये धारेको कोई उल्लंघन करे तो उसको सजा होती नहीं परन्तु ऐसी बावतोंमें अग्रेसराको ध्यान रखना चाहिये कि जिससे धारा तोड़ने वाला पैसेवाला या गरीब हो उसे योग्य शिक्षा देकर ऐसे ऐसे दुष्ट रिवाजोंको निकालना चाहिये।
लोगोंको यह रिवाज वन्द पड़नेसे वेचैनी तो होगी, परन्तु ऐसा करनेका कोई कारण नहीं, जब वो कई बार जीम २ कर कलेजा ठंडा करलेते हैं परन्तु जब उनके खुदके घर ऐसा मौका आवेगा तब मालूम होगा कि जातिको जीमाते आंखें खुलती हैं, ऐसे लोगोंको समझना चाहिये कि वेचारे गरीब घरमें घकिा छीटा नही देखते, खानेंको आज मिला तो कल नहीं, रात दिन परिश्रमकर पैसा कमाकर