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(१९४) उनको ऐसा करते हुए अटका कर नोकरवाली (माला) 'उन्हें देकर कहना चाहिये कि प्रभुका नाम ले कर अवतार सफल करो. बडोदेमें एक अच्छे घरमें मृत्यु होगईथी तब उसके घर रोने कूटनेको आई हुई स्त्रियों को इसी मुजव नो. करवाली देनेमें आईथी, उसी मुताविक हरएक जगह ऐसा रिवाज होना चाहिये. इसलिये ज्ञातिके सर्व अग्रेसर महाशयोस मेरी नम्रता पूर्वक प्रार्थना है कि वोह अपनी ज्ञातिको इकही करके सर्वानुमतसे इस चालका सुधारा करके अपनी शातिके कलंकको नष्ट करें-और यह करना हरएक ज्ञातिके अग्रेसरों का कर्तव्य है !
कदाचित् कोई कहेंगे कि वहोत दिनोसे होती आई चालको नष्ट करने की खटपटमें कौन पड़े और लोकोका अपयश कौन सिरपर ले ! भाईयो ! रोने कूटनेकी चालसे बड़ा भारी नुकसान अपनेको सहन करना पड़ता है यह अपनको ज्ञात हो तो ऐसी सराव रीतिको मार्गमें ले जाना और उस रस्ते आपनकों चलना. वान्धवों ! इस रस्ते चलनेकी होंस न करना चाहिये क्यो कि यह पाप है और स्वाभाविक नियमसे उलटा है. मनुष्य लदाका कर्तव्य यह है कि कोई खराव रूढीका अपनमें प्रचलित होना ज्ञात हो जाये तो उसको निकालनेका उपाय करना चाहिये, इसमें आपको कोई द्रव्य व्यय न होगा सिर्फ जवान हिलानेका काम है. .