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________________ ( १५०) उस समय विलकुल रंज न हो ऐसी वृद्ध मृत्युके समय उसके बहुतसे सगेसोई इकठे होनेसे अन्य दीके देखादेखीके वास्ते जिस किसीकी इच्छा हुई होगी ऐसे लोगोंने नुसता (जीमन) किया होगा, उसके बाद दिनोदिन वृद्धि पाकर यह रियाण ऐसी कंडी जडसे जम गया कि जिमको निकालन्यं अब बड़ी भारी मिहनत उठानी पड़ती है, और उस जडको देखकर मुग्ध होनेवाले लोग जब वह जरा सिसी कि फिर उसको म. जबूत करनेको तय्यार होने हैं-इसी कारण यह रिवाज अभी मचलित होगया है। यह नुक्ता (जीमनवार ) करनेकी रीति सब दूर एकशाह प्रचलित ऐसा नही परन्त कितनेक स्थलएर फलाने दिनको करनेका और कितनेक स्थलपर वर्ष २ में या जब दिलमें आवे तय इच्छा मुजब करनका रिवाज है । यह रिवाज निर्दयता, निःशूकता, निर्लज्जता, निर्धनता और निघता, अर्पन करता है वोह नीचेकी हकीकत परसें ज्ञात होगा निर्दयता-किननेक मृत्यु के जीमनवारको शकुन समझते हैं बहुत दिनोंसे बीमारीके आराम हुएलेके वास्ते ऐसे जीमनवारका दिन देखते हैं, मृत्युके वक्त वृद्ध मृत्युमें लोग विरुद्धका विचार न करते दिलासेके बदलेमे तीन दिनका स्मशानमेंही
SR No.010736
Book TitleJain Nibandh Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand J Gadiya
PublisherKasturchand J Gadiya
Publication Year1912
Total Pages355
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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