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छे त्यारे जे मूढ जनो मोहथी अंध बनी एकी साथे ए पाचे इंद्रियोना विषयोमां लीन बन्या रहे छे तेमनुं तो कहेवुं ज शु . आ भवमां परतंत्रादिक प्रगट दु.खने बामे छे अने परलोकमा नीची गति पामे छे.
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प्रश्न १२ नवकार ( नमस्कार ) महामंत्रनुं (गरण क्यारे क्यारे ने केवी रीते कर उचित छे ? अने तेनाथी शाशा लाभ संभवे छे ?
उत्तर भोजन समये, शयन करतां, जागतां प्रवेश करतां, भय अने कष्ट समये यावत् सर्वकाळे सदाय नवकार महामंत्रनुं निश्च स्मरण कर्याज करपुं. मरण वखते जे कोइ ए महामत्रने धारी राखे छे तेनी सद्गति थाय छे. ए महामंत्रनु स्मरण करी करीने अनेक जनो संसार समुद्रनो पार पाम्या, पाने छे अने पामशे. " उत्साह सहित " प्रमाद रहित गणवामां आवता नवकारना प्रभावथी सर्व उपद्रवी तत्काळ शमी जाय छे, सर्व पाप विलय पामे छे अने सर्व प्रकारना भय नष्ट थइ जाय छे.
श्री जिनेश्वरमा पोतानु लक्ष स्थापी प्रसन्न चित्ते, सुस्पष्ट रीते, श्रद्धायुक्त अने विशेषे करीने जितेन्द्रिय सतो जे कोइ श्रावक " एक लाख नवकार मंत्र " जपे छे अने एक लाख श्वत अने सुगंधी पुष्पोवडे यथाविधि जिनेश्वर भगवानने पूजे छे ते जगत् पूज्य श्री तीर्थंकरनी पट्टी प्राप्त करे छे.
वीए महामंत्र दुःखने दूर करे छे, सुखोने पेदा करे छे, यश कीर्ति प्रसरावे छे, भवनो पार करे छे. ए रीतें आ लोकमा अने परलेाकमां सर्व सुखना मूळरूप ए महामंत्र छे. वधारे शुं ? पण तिर्यचपशु पंखी पण अन्त वखते ए महामंत्रना स्मरणथी सद्गति पामे छे.
प्रश्न १३ न्याय मार्गे चालवाथी आ लोकमां तेमज परलोकमा शाशा फायदा थाय छे ?
उत्तर-- न्याय-नीतिना मार्गे एक निष्ठाथी चालतां आलोकमा