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इस प्रकार "देशीनाममाला" एक श्रेष्ठ भाषावैज्ञानिक कोश होने के साथ ही उच्चकोटि की साहित्यिक भावभूमि मे भी युक्त है । उपयुंक्त तालिका उदाहरण की गाथाओ मे निहित विपय वस्तु का सकेत दे देने के लिए पर्याप्त है। ये उदाहरण भारतीय साहित्य परम्परा में लिखे गये किसी मी "सनमई" ग्रन्य में प्राये पद्यो में कम महत्त्वपूर्ण नहीं हैं यदि 'रयणाबली" को भी एक मतमई ग्रन्य ही कहा जाये तो कोई अत्युक्ति न होगी । इसके एक एक उदाहरण सचमुच श्रेष्ठ साहित्यिक रत्न हैं । जिस प्रकार हेमचन्द्र ने अपने अपभ्रश भाषा के व्याकरण से सम्बन्धित सूत्रो व्याख्या करते समय उदाहरण के रूप में उच्च स्तरीय माहित्यिक सौन्दयं मे युक्त दोहे सकलित किये, उसी प्रकार 'रयणावली" में उन्होने अपनी म्वय की कवित्वशक्ति के प्रदर्शन एव श्रेष्ठ माहित्यिक अभिव्यक्ति के लिए गायाए लिखी। अपनश व्याकरण में निहित दोहे हेमचन्द्र के अपने नहीं है परन्तु "रयगावली" की गाथाए उनकी कवित्वप्रतिभा की सम्यग्द्योतिका हैं। ये गाथाए मापाभाव तथा अलकार प्रादि सभी काव्यदृष्टियो मे उच्चकोटि की है।
इतना सब होते हुए भी पिशेल जैसे मनीपी ने इन गाथागों के अर्थ मौन्दर्य को देखने की चेप्टा न कर इन्हें अत्यन्त भीडी और प्राणयहीन बताया, आविर इसका क्या कारण हो सकता है। यदि हम इम ओर दृष्टिपात करें तो पिशेल को भ्राति मे डालने वाली कठिनाई बडी ग्रामानी से खोजी जा सकती है। पिशेल एक विदेशी विद्वान् थे उन्होंने सस्कृत अवश्य पढी थी परन्तु उन्हे लौकिक परम्परानो और छोटी छोटी अन्य बातो का ज्ञान नहीं था-जितना कि किमी अन्य भारतीय को बिना प्रयास ही होता है । उन्हे जो भी मूलप्रतिया मिली उनकी तुलना करके अविकतर प्रतियो में मिलने वाले पाठ को ही उन्होंने ने मान्यता दी। उन्होंने सम्भवत अपनी पोर मे गम्भीरतापूर्वक विचार विर्मश नही किया । अर्द्ध शिक्षित पेशेवर लेखको के द्वारा लिखी गयी मूल प्रतिया ही उनके विवेचन का आधार थी। अतएव प्रमादो का हो जाना सर्वथा मम्भव था। अपनी इस कठिनाई को पिणेल ने स्वय भी व्यक्त किया है। दूसरी वात "देशीनाममाला" मे आये हुए "देशीशब्दो" का वातावरण अधिकाशत ग्रामीण है और ग्रामीण जीवन के दैनन्दिन की बातें पिणेल के लिए जितनी कठिन थी उतनी ही "देशीनाममाला” की गाथाए भी।
देशीनाममाला का महत्त्व
प्राचार्य हेमचन्द्र का देशी शब्दो का यह सग्रह ग्रन्य भाषा वैज्ञानिक एव साहित्य दोनो ही दृप्टियो से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। जिस प्रकार हेमचन्द्र का