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थाचार्यश्री तुलसी अभिनम्बन प्रग्य
[ प्रथम
अपने पिछले भारत-प्रवास के समय मुझे अपने विद्यार्थियों के एक दल के साथ जब अपने मित्र श्रीसुन्दरलाल झवेरी के माध्यम से अणुव्रत-अान्दोलन और उसके मुख्य सिद्धान्तों का परिचय प्राप्त हुमा, तो बड़ी प्रसन्नता हुई। इस प्रवास में मुझे प्राचार्यश्री तुलसी के पाश्चर्यजनक कार्य और उनके महान जीवन के सम्बन्ध में जानने का अवसर मिला।
हमने मैक्सिको लौटने के पश्चात् टेलीविजन पर व्याख्यानों द्वारा लोगों का अणुव्रत-आन्दोलन का परिचय दिया और लोगों ने इस मान्दोलन के सिद्धान्तों के विषय में सुन कर बड़ी जिज्ञासापूर्ण उत्सुकता प्रकट की।
इसलिए मैं यह विश्वासपूर्वक कह सकता हूँ कि इस महान् भारतीय प्राचार्य के कार्य का हमारे माधुनिक जगत् पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। हिंसा के विरुद्ध एकमात्र शब्द और सन्देश मंत्री का ही हो सकता है। मनुष्यों के प्रति मंत्री, जीवों के प्रति मंत्री और प्राणीमात्र के प्रति मैत्री। अतः मैं आपको यह कहना चाहूँगा कि यह मेरी उत्कट आन्तरिक इच्छा है कि इस महान् धर्माचार्य की वाणी का असंख्य मानव-प्रात्मानों द्वारा श्रवण हो, जिससे कि वे इस विश्व को अधिक मानवीय और अधिक शान्तिमय बनाने के प्रयास में सहयोग दे सके।