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हस्तरेखा-प्रध्ययन
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बृहस्पति मुद्रिका बाएं हाथ में है। साधु संघ पर मापकी विशेष अनुकम्पा रहेगी।
प्रापका हाथ समकोण है। चन्द्रमा से भाग्य रेखा उदय होकर मस्तिष्क रेखा पर रुकी है। आपके द्वारा प्रचारित धर्म इतर लोग भी स्वीकार करेंगे; सामाजिक वृद्धि होगी।
जीवन रेखा धुमावदार है। मस्तिष्क रेखा साफ और सीधी है । हृदय रेखा बृहस्पति तक जा रही है। निश्चित ही प्राप दोर्ष प्रायु होंगे।
सूर्य रेखा जीवन रेखा से उदित हुई है । उसी स्थान से बुध रेखा निकल कर बुध के स्थान पर गई है। भिन्नभिन्न विषयों का साहित्य आप और आपके शिष्यों द्वारा सम्पादित होगा। शोध कार्य की तरफ विशेष ध्यान रहेगा। अहिंसा स्वरूप को सूक्ष्म-से-सूक्ष्म रूप में प्रतिपादित कर लोकहित करेंगे। आप अपनी संघीय व्यवस्था में विकास भी करेंगे। विभिन्न विभाग विभिन्न उत्तरदायित्व युक्त करेंगे। यह व्यवस्था विषय से सम्बन्धित होगी। इसका श्रीगणेश ४६वें वर्ष से और उसकी पूर्णता ५१, ५२, ५३ तक होती रहेगी।