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४.०२]
मगर साधना में बैठने वालों को सांसारिक प्रपंचों से मन को पृथक कर लेना चाहिए । चित्त को प्रशान्त और एकाग्र करके साधना करने से अवश्य ही लाभ. होगा । अन्तरंग साधना सामायिक के अभ्यास से ही सिद्ध होता है।
अगर इस प्रकार से सामायिकसाधना जीवन में अपनाई गई तो इहलोक · और परलोक में कल्याण होगा। . . . . . . . .